रहीम, रसखान, नरोत्तम दास, बिहारी, देव, आलम, गोविन्द, मीरा और भूषण की रचनाओं का किसी भी संगीतज्ञ द्वारा इस्तेमाल नहीं किया गया था, यद्दपि शास्त्रीय संगीत काफी प्राचीन है, इसीलिये हमनें मध्ययुगीन और रीतिकालीन कवि, रचनाकारों की रचनाओं को अपने सुगम शास्त्रीय संगीत में पिरोया है.
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विशुद्ध शास्त्रीय रागों पर आधारित गीतों में जहां ‘ ग्रामोफोन सिंगर ' का गीत-‘ काहे अकेला डोलत बादल ' (राग मल्हार) व ‘ तानसेन ' का गीत ‘ बरसो रे बरसो रे ' (राग मेघ मल्हार) पसंद किया गया तो सुगम शास्त्रीय संगीत में रचा बसा ‘ बहाना ' फिल्म का गीत ‘ जारे बदरा जा रे जा रे ' (राग यमन कल्याण) भी लोकप्रिय हुआ।